हिंदू धर्म में आम के पेड़ का कई तरह से महत्व बताया गया है। आम हर रूप में महत्वपूर्ण है, चाहे बात हो इसके लकड़ी, फल या पत्ते की इन सभी चीजों का महत्व है। सभी धार्मिक अनुष्ठानों में आम की टहनी, लकड़ी और पत्ते का उपयोग किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में यह कहा गया है कि आम की लकड़ी से हवन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
मांगलिक कार्यों के लिए
शास्त्रों में यह बताया गया है कि आम का पेड़ मंगल का कारक है। सभी मांगलिक कार्यों में आम के पत्ते और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। कोई भी धार्मिक कार्य बिना आम के पत्तों के सम्पन्न नहीं मानी गई है।
तोरण बनाने के लिए
शुभ कार्यों में तोरण निर्माण के लिए आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि तोरण में हनुमान जी का वास होता है, इसलिए इसे घर के मुख्य द्वार में लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है।
कलश निर्माण के लिए
आम के पत्ते का कलश निर्माण के लिए विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। कलश में 7,5,9 या 11 आम के पत्तों के ऊपर नारियल रखें, साथ ही कलश के अंदर एक सिक्का, गंगाजल, हल्दी और सुपारी डालकर कलश तैयार करें।
मंडप एवं यज्ञ वेदी सजाने के लिए
विवाह मंडप एंव यज्ञ की वेदी बिना आम के पत्तों के अधूरी है। इसलिए मांगलिक एवं धार्मिक अनुष्ठानों में इसका उपयोग सजाने के अलावा पूजा के लिए किया जाता है।
पूजा के लिए
सभी तरह के पूजा और हवन में आम के पत्ते का महत्वपूर्ण स्थान होता है। पूजा के दौरान आचमन क्रिया करने के लिए आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है।
हवन के लिए
आम की लकड़ी का इस्तेमाल हवन के लिए किया जाता है। बिना आम के लकड़ी के हवन अधूरी मानी जाती है। इसके अलावा घी डालने के लिए आम के लकड़ी से सुरवा तैयार किया जाता है।
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